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अधर्मी

FOREST REVOLUTION THE LAST SOLUTION
FOREST REVOLUTION THE LAST SOLUTION
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भाई,
चल जरा, उस किले की मुंडेर पर बैठते हैं………
काल चक्र के पहिये पर
वापस कुछ सौ साल पहले घूमते हैं !!!!!!

भाई वो देख कितनी धूल सी उड़ रही है
पश्चिम से…..
लगता है काले स्याह बादल घिर आये हैं………

वो अपना ही गाँव है न ?????

ओह, काले कपड़ों को पहने ,
काले साफों को बांधे ,,,
काले घोड़ों से अपने गाँव को रौंदते
नंगी चमकती कौंधती तलवारें लिए
काले साये दौड़ते आ रहे हैं ………..

भाई बहुत डर लग रहा है…….
मुझे छिपा लो…….
ऐसा बहता खून, कभी नहीं देखा मैंने…..

भाई ये लोग कितने निर्दयी हैं…….
स्त्री, पुरुष, बच्चों को कैसे काटते
और भयानक अट्टहास करते चले आ रहे हैं…..
गाँव के गाँव अग्नि से धधक रहे हैं…….
कन्याएँ और स्त्रियाँ चिथड़ों से लाज ढकती
भाग रही हैं छिपने के लिए…………

भाई ये दिख तो अपनी ही तरह रहे हैं……
दो हाथ, दो पाँव, दो आंखे, एक सिर और उदर लिए ,,,,
क्या ये भी इंसान हैं ??????

भाई ये लोग चिल्ला रहे हैं
ये हमें हिन्दू कह रहे हैं…….
हमें काफिर कह रहे हैं……
हमें बुतपरस्त कह रहे हैं…….

भाई, ये हिन्दू क्या है ???
पहले तो नहीं सुना ????
ये लोग कह रहे हैं
धर्म परिवर्तन कर लो…….
कहते हैं हमारी शरण में आ जाओ
तो जान बख्श देंगे………

भाई, ये धर्म क्या होता है ???
ये भगवान क्या होता है ???
भाई, कृष्ण ने गीता में कहा था
कण – कण में भगवान है…….
हर जन में भगवान है……
किसी को वेदना न देना ही धर्म है…….

भाई, वसुधैव कुटुम्बकम का भाव
विश्व को देने वाले कृष्ण का संसार
क्या अब तक धर्म विहीन था ???
क्या प्रकृति को भगवान का दर्जा देना
और मानवता की सेवा में सर्वस्व त्यागना
अब तक धर्म नहीं था ????

लेकिन भाई ,,,,
प्राण बचाना तो सबसे पहला धर्म है न
इंसान का ,,,,,
अपने दुधमुहें बच्चे और
फटे वस्त्रों में सिमटती कातर स्त्री
की जीवन रक्षा ही
सबसे बड़ा धर्म था भारतीय पुरुष का………..
आखिर यही तो उसका इकलौता संसार था ।।।।।

भाई जो बदल गये
वो मुसलमान हो गये
और जो नहीं बदले
वो लाखों पंथों वाले
अब हिन्दू हो गये……

लेकिन भाई एक गलत काम और हुआ……..
अब हम धार्मिक हो गये….
हिंदुओं को ब्राह्मणों ने पूजा विधि समझायी…….
और मुस्लिमों को मौलवियों ने नमाज पढ़ायी……..

एक घर में रहने वाले
दो दरवाजे बना बैठे…..

इन धर्म के ठेकेदारों को
इन झूठे किरदारों को
न कभी अल्लाह मिला और न कभी भगवान दिखा….
न कभी अल्लाह ने मंदिर तोड़ा और न कभी भगवान ने मस्जिद ढहायी…..
न कभी अल्लाह ने हिन्दू माँ की गोद सूनी की
और न कभी भगवान ने अम्मी की कोख तड़पायी !!!!!!

भाई ,,,,
एक बात और समझ नहीं आयी अब तक ,,,,,
ये लोग जो धार्मिक हैं………
क्या इन्होने उसको देखा है ???
जो अजन्मा,,,, जो अथाह है,,,,,
जो अनश्वर है,,,, जो निराकार है………

अपनी बनायी कल्पना…..
और उससे पनपी संतुष्टि के लिए…..
ये किसी को भी मार देते हैं ।
कभी शैव – वैष्णव के नाम पर….
कभी शिया – सुन्नी के नाम पर….
ये कृष्ण के अध्यात्म को मारते हैं !!!!!
ये शिव के नाद ब्रह्मांड को मारते हैं !!!!!!
ये तो कण-कण में बसे ईश्वर को मारते हैं ………….

भाई, ये विदेशी लोग भारत को कहाँ जानते हैं……….
भारत तो कभी किसी धर्म का रहा ही नहीं ,,,,,,,,,
ये सनातन है,,,, जो सदैव नूतन है…….
जो सिद्ध है जंगलों में बसने वाले
निर्विकार वैज्ञानिक अद्भुत मनीषियों से !!!!!!!!!

भाई आज जिसे मुसलमान कह रहे हैं लोग
वो भी तो यहीं का है
और जिसे हिन्दू कहा जा रहा है
वो भी तो इसी मिट्टी का है………

असंख्य जातियाँ बदल गयी ,,,,
खरबों धर्म बदल गये ,,,,,,
पर जंबुद्वीप का इंसान नहीं बदल पाया …..
उसका दिल नहीं बदला……
उसका मस्तिष्क नहीं बदल पाया…….
उसकी करुणा नहीं बदली….
उसकी नैतिकता नहीं बदली….

धमनियों मे प्रवाह करता
शिव और कृष्ण का आनुवांशिक रक्त नहीं बदल पाया…..

जो आज भी हर गुनाह के बाद छुप कर रोता है !!!!!!!!

वो बहुत अलग है, उन भूखे अरबियों से
जिन्हें तपती मरुभूमि में
खाना ढूँढने और अपने वजूद को जिंदा रखने के लिए
क़ौमों को मारना पड़ता है !!!!!!!!

वो बहुत अलग है ,,,
अफ्रीकन हब्शियों से
जिनकी पिपासा
विश्व को इबोला और एड्स से रूबरू
करा रही है……
जिनके सिद्धांतों में कट्टरता का आवेश है
जिनको जिंदा रहने के लिए
नरभक्षी जंगलों से लड़ना पड़ता है !!!!!!!!

वो बहुत अलग है ,,,,
आल्प्स की छाया में बसने वाले
लाल चमड़ी और भूरे बालों वाले
लंबे यूरोपियन वंशजों से
जिनकी अश्लील व्यवसायिकता,
प्रकृति विरोध और साम्राज्यवाद ,,,,
विश्व का विनाश कर रहा है !!!!!!!!!

या वो बहुत अलग है
उन छोटी आंखो, भोले दिखने वाले
पूर्वी विश्व के इन्सानों से
जिनके आशियानों को धरा
बार बार पलट देती है
प्रकृति के क्रूर आघातों को सहते हुए
फिर भी अंधविकास मे खुद को ही,
जो मार रहे हैं !!!!!!!!

भाई, अपना भारत कितना अलग है न…….
अद्भुत – अलौकिक
जिसने डायनासोर युग के उल्कापात से
लगभग मिट चुकी पृथ्वी में
कुछ जीवों को बचाया था………..

हिमालय को जन्म दिया,,,,,,,,
बादलों को रोक कर वर्षा करायी,,,,,,,,
विश्व की सर्वाधिक सहिष्णु जैव विविधता को पनपाया
जिससे मानव जन्म का मार्ग प्रशस्त हुआ था !!!!!!!!

और ,,,,,
आज भी ढाई अरब की
जनसंख्या को पालता
ये भारतीय उपमहाद्वीप
सबसे अधिक जीवन घनत्व को ढो रहा है ………..

भाई ,,,,,,

मंदिरों और मस्जिदों में
आस्था को बेचते और खरीदते लोग
विदेशी निकृष्ट शिक्षा से संधान करते लोग
किस भारत के हैं ?????

ये संवेदनाशून्य मानव
कभी गाज़ा के अस्पतालों से राकेट चलाएँगे
और अपने ही बच्चों के शवों को दिखा कर रोयेंगे
कोई इनसे पूछे कि,
क्या मिला इसराइल और हमास के युद्ध में इनको ?????

आई॰एस॰आई॰एस॰ के दहलाते
मध्य एशिया में शिया और सुन्नियों कि मौतों से
क्या मिल रहा है, इंसानियत के फर्माबरदारों को ?????

आखिर लादेन की जिद से
अफगानिस्तान और अल कायदा को क्या मिला ?????

पता है ,,,,,
पिता तो अपनी औलाद को शहीद कह कर खुश हो जाता है
लेकिन उस माँ के दर्द को कौन समझेगा ,,,,
जिसकी कोख में नौ महीने तक पला बच्चा मरा है………
जिसकी कितनी रातें उस बच्चे की पेशाब से गीले
बिस्तर पर ऊँघते बीती हैं !!!!!!!!!!

भाई, ये भारत है ,,
जिसने सहस्त्राब्दियों से
मानव उत्पात को देखा……….
विसुवियस पर्वत के लावा से
रोम को मिटते देखा……
जिसने इंका और माया को भूकंप में
समाते देखा………
जिसने मिस्त्र को भूख-प्यास से
तड़पते और लड़कर जान देते देखा………..

जिसने अकाल में प्यासे-कुम्हलाए शूद्रों को
धर्म के ठेकेदारों के कुओं की जगत पर प्राण देते देखा……..

जो आज भी देख रहा है ,,,,,
डी॰जे॰ की हृदयाघात करती धुनो पर
थिरकते नशे में झूमते
नदियों में मूर्तियाँ बहाते लोगों को…………..

जो आज भी देख रहा है ,,,,
लाउडस्पीकर से भजन का शोर
और अजान की चिल्लाहट पर
मारते – काटते मूर्ख लोगों को……………

ये वो भारत है ,,,,,
जिसने विदेशी तकनीकी से बने
सैकड़ों सुरंग नुमा बांधों से
ठहरती गंगा के वेग में
बहती हजारों लाशों को देखा……………

ये भारत वो है ,,,,,,,
जो उस पार बसे कश्मीर को रौंदते
चीन द्वारा हिमालय श्रंखला में सुरंग बनने
और पहाड़ों के दरकने से
उत्पन्न हुये विनाश के कारण ,,,,,
बारिश का वेग और बाढ़ में
तबाह होती मानवता को देख रहा है…………..

रोता हुआ भारत ,,,,,,
जो उस कश्मीर की भी फिक्र कर रहा है
जिसको बचाने वाला कोई माईं-बाप नहीं है
जिसके दर्द को देखने वाला मीडिया निषेध है
जिसके आँसू पोंछने के लिए सेना के जवान असहाय हैं………..

लेकिन,
हे विश्व, हे राजनीतिज्ञों, हे धर्म के स्वरूपों,
विदेशी पैसे पर पलते समाज के ठेकेदारों…..
बस इतना चिंतन जरूर कर लेना………..

जिस दिन तुम्हारा भारत खत्म हुआ
उस दिन संसार से मानव खत्म हो जाएगा…….
जिस दिन हिमालय बारिश नहीं रोक पाया ,,,,,
उस दिन तिब्बत के पठार और
मरुस्थल सा निर्जीव विश्व हो जाएगा…………
जिस दिन हिमालय में नख भर भी विचलन होगा ,,,,
टेक्टोनिक प्लेटों के विस्थापन से भूकंप का तांडव मचेगा………

हिमालय का क्षरण ।।
भारत का क्षरण होगा ।।।।
मानव का क्षरण होगा ।।।।।।।।।

लेकिन मैं क्यों परवाह करूँ ,,,,,,
आखिर क्या कर सकता हूँ ????????

नक्कारे की गड़गड़ाहट में ,,,,
तूती की इज्ज़त उसकी खामोशी है !!!!!!!!!

इसीलिए ,,,,,,,,,,,

धर्म, प्रांत, भाषा, रूप, जाति में लोगों
को बांटते हे देवताओं………..
मुझे अधर्मी रहने दो…………

मुझे उस गंदे कुत्ते के साथ खेलने दो,,,
जिसका भगवान मेरे भगवान से बड़ा है
जिसने उसे अल्ट्रासाउंड सुनने की ताकत दी है
वो मीलों गहरी आवाज़ें सुनता है
और भूकंप में नहीं दबता है………

मेरे भगवान से बड़ा बकरी का भगवान है,,,
जो खाने से लेकर दवा तक जंगलों से देता है…..

मेरे भगवान से बड़ा पीपल का भगवान है,,,
जो सालों तक उष्ण निष्क्रिय बीजों में भी
अंकुरण की क्षमता देता है,,,,
जिस पीपल में पर्यावरण जहर को सोखने की
सबसे अद्भुत शक्ति है……………..

भाई,,,,,
इन सब लोगों को अपने भगवानों में उलझे रहने देना…….

बस मेरे मरने के बाद
मेरी लाश को जंगलों में छोड़ देना
उस माँ की गोद में लिटा देना
जिसने मुझे जन्म से मृत्यु तक
खाना दिया, आश्रय दिया, हँसाया, रुलाया, लाड़ किया

और जो मेरे बाद,,
मेरे परिवार को भी पालेगी……..

हे धरती माँ………………
मेरी भगवान सिर्फ तुम हो……..
मेरा धर्म सिर्फ तुम हो !!!!!!!!!!!!!

वन क्रांति – जन क्रांति
FOREST REVOLUTION – THE LAST SOLUTION

राम सिंह यादव (कानपुर, भारत)
yadav.rsingh@gmail.com
theforestrevolution.blogspot.com

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